तो बता देना
विशाखा गोयल इन हवाओ में छोड़ा था जो तुझ तक वो पैगाम पहुंचा क्या ?! सरे-आम किया था, याद है? तुझ तक वो ऐलान पहुंचा क्या ?! पन्नो में सिमटा…
विशाखा गोयल इन हवाओ में छोड़ा था जो तुझ तक वो पैगाम पहुंचा क्या ?! सरे-आम किया था, याद है? तुझ तक वो ऐलान पहुंचा क्या ?! पन्नो में सिमटा…
संजीव गोयल ‘मै और मेरा’ की भावना इंसानों में होती है कितनी प्रबल ‘मै और मेरा’ से ही मिलता है लोगों को जीवन में संबल, ‘मै’ की चादर ओढ़ कर…
ठाकुर प्रसाद मिश्र शांत सुस्थिर जन मानस में उठती आज हिलोरें । कांप रहे स्तंभ गगन के अवनि खडी कर जोरे ।। युग-युग से वाडव की ज्वाला सागर छाती दहती…
ठाकुर प्रसाद मिश्र वंजर मरुभूमि का भी उच्च भाल हो गया । श्वेत पंख ओढ कैक भी मराल हो गया । कागज के फूल में सुगंधि इत्र की बसी प्रकृति…
अरुणाकर पाण्डेय वे ठिकाने जहां पिछली सदी में आलोचक फैले हुए मिलते थे और सत्ता के लिए प्रति संस्कृति थे अब केवल एक बुलंद इमारत भर ही रह गए कविता…
डॉ सत्येन्द्र सत्यार्थी है निशा जिंदगी, जागरण हैं पिता, हर तरक्की के अंतःकरण हैं पिता। जिंदगी मुश्किलों ठोकरों से भरी, उनसे बचने का दृढ़ आवरण हैं पिता। कष्ट-ग़म के हलाहल…
संजीव गोयल ख्वाहिशों का हमारी साँसों से है एक अटूट संबंध ख्वाहिशों के बिना हमारे जीवन में है सिर्फ क्रंदन, किसी को ख्वाहिश है नभ के शिखर को छूने की…
डा. संदीप कुमार नर की आशा, प्रेम और विश्वास नारी है दुर्गा रूप में प्यारी, काली बन संघारी है.. सरस्वती बनकर देती बुद्धि और ज्ञान तो लक्ष्मी बन घर की…
ठाकुर प्रसाद मिश्र रहे सदा शुभ तुम्हें तुम्हारी राजनीति य़ह हमें हमारी रंक नीति ही भाने दो। जहाँ रिक्त हो जाए तुम्हारा अक्षय तरकश, वह अनचाही स्थिति अब मत आने…
विशाखा गोयल मैंने ऊंची चढ़ाई देखी देखी फिसलती ढलाने भी, ठिठकना, थमना, गिरना देखा गिरकर देखीं उड़ानें भी, सफर देखा, देखे मुसाफिर और उनके ठिकाने भी, पीडा, रुदन, अफसोस देखा…