आलेख

साहित्यिक विभूतियों के स्मृति स्वरूप

अरुणाकर पाण्डेय किसी साहित्यिक विभूति को याद रखने का संभवतः सबसे अच्छा माध्यम उसका साहित्य ही हो सकता है क्योंकि वही उसकी सबसे बड़ी पहचान बनता है | यदि इतना…

हे पार्थ ! प्रण पालन करो देखो अभी दिन शेष है

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर श्री मैथिलीशरण गुप्तजी की रचना जयद्रथ वध के एक प्रसंग पर अरुणाकर जी ने यह आलेख लिखा है जिसमें भगवान श्रीकृष्ण की भूमिका का उल्लेख…

साहित्यिक पत्रिकाएँ ब्राह्मण होती हैं,व्यंग शूद्र माना गया है : हरिशंकर परसाई

गत 22अगस्त को परसाई जी के सौ वर्ष हो गए हैं। हिंदी जगत में बहुत धूमधाम से विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए,इसकी अपेक्षा और आशा भी थी । इस अवसर…

सनातन

ठाकुर प्रसाद मिश्र सनातन सर्वत्र है सम्पूर्ण धारा सनातन युक्त है.जहाँ तक प्रकृति एवं पुरुष का संयोजन है वहाँ तक सनातन है.हम भाग्यशाली हैं कि इसका प्रमुख चिंतक हमारा देश…

हजारीप्रसाद जी का गप्पी मन

आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी की जयंती पर विशेष अरुणाकर पाण्डेय लेकिन हिंदी साहित्य,भाषा और अध्यापन के इतिहास में एक गुरु ऐसे भी हुए जिनकी ख्याति जितनी ही उनके गम्भीर शोध कार्य,…

किताब उनचास लाख की

अरुणाकर पाण्डेय एक ऐसी किताब जिसकी कहानी सर्वविदित हो, आखिर कितने मूल्य में बिक सकती है ? इसके साथ ही यह विचार किया जाए कि कोई ऐसी किताब क्यों खरीदेगा…

जब शरतचंद्र ने अमृतलाल नागर को लिखना समझाया

(हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार अमृतलाल नागर की जयंती के अवसर पर विशेष) अरुणाकर पाण्डेय हिंदी साहित्य की दुनिया में अमृतलाल नागर की उपस्थिति ऐतिहासिक महत्व की है क्योंकि उन्होंने तुलसीदास…

 ‘कैदी और कोकिला’ में अहिंसा और उत्पीड़न का द्वंद्व

अरुणाकर पाण्डेय यह आलेख प्रसिद्ध गांधीवादी साहित्यकार एवं स्वतंत्रता सेनानी पं. माखनलाल चतुर्वेदी जी द्वारा रचित कविता ‘कैदी और कोकिला’ पर केंद्रित है | अरुणाकर जी का यह आलेख स्वतंत्रता…

स्वभाव ही सेवा है

भैया हरिशंकर पटेल, समाजसेवी व सक्रिय राजनीतिक प्रतिष्ठित समाज सेवी और सक्रिय राजनीतिक भैया हरि शंकर पटेल जी ने 78 वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर समस्त देशवासियों को हार्दिक…