वृक्ष हमारी प्रकृति के श्रृंगार हैं. संपूर्ण धरा इन वृक्षों से सुसज्जित रहती है. प्रस्तुत कविता में पर्यावरण की चर्चा हमें प्रकृति से जुड़ने को प्रेरित करती है
ठाकुर प्रसाद मिश्र
पेड़ लगाओ जल बरसाओ,
हरियाली से धरा सजाओ।।
आस – पास तन – मन घर गलियाँ
स्वच्छ रहो और स्वच्छ बनाओ।।
कण – कण में जो जहर घोलता
तजो प्लास्टिक, जगत बचाओ।।
बढें समुंदर सूखें सरिता
ऐसे अवसर मत पनपाओ।।
प्रकृति हमारी अभिभावक है,
आदर दो और आदर पाओ।।
आज प्रदूषण है खरदूषण,
शुचिता का श्रीराम बुलाओ।।
पर्यावरण शुद्ध करने को,
सारे मंगल साज सजाओ।।
शुचि सुगंध का कारक है जो,
तब इससे स्वर्गिक सुख पाओ।।
रचनाकार हिन्दी के प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं. प्रकाशित हिंदी उपन्यास ” रद्दी के पन्ने“
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