सुरमयी शामimage source ai

रमेश कुमार मिश्र 

सुरमयी शाम में भी उनकी तन्हाई न गयी |

वे लुटे बैठे रहे तन्हा भी महफ़िल में ||

जाम से जाम मिले फिर भी शिरकत न हुई |

बज्म़  में बजते रहे घुंघरू तन में हरकत न हुई||

                 सुरमयी शाम में भी... 

रौशनी के समंदर में भी वे रोशन न हुए |

बूंदें गिरती रहीं भीगे वे गीले न हुए ||

                     सुरमयी शाम में भी… 

चोट दिल में लगी चटका जी टुक्ड़े न हुए |

जिंदा महफ़िल में भी बैठे वे महफ़िल न हुए ||

                 सुरमयी शाम में भी…. 

प्यार में टूट के भी प्यार की रुसवाई न हुई |

बात दिल की ही रही दिल में परायी न हुई ||

                      सुरमयी शाम में भी…. 

कवि /लेखक —रमेश कुमार मिश्र की कलम से

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *