जिन्दगी की यही रीत है….

जिन्दगी की यही रीत है.... image source chat gpt

डा.संदीप (Dr.Sandeep)

dr sandeep

मिलना बिछड़ना फ़िर किसी से मिलना सिर्फ़ बहाना है

ज़िंदगी की यही रीत क़िस्मत का लिखा क़िस्सा पुराना है….

मानता हूँ आसान नहीं किसी की यादों को यूँ भूला देना

पर रुकना नहीं चलते रहना ज़िंदगी का अज़ब फ़साना है….

इश्क़ की ताक में मत बैठ बनारसी नज़रबाज़ों की तरह

उठ जा ढूँढ मोहब्बत की गलियों में देख वक़्त सुहाना है

नज्मकार -पत्रकार, लेखक, विचारक व ब्लागर हैं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *