श्रीकृष्ण आरती : आरति कीजै नंद ललन की लीलाधर प्रभु दुष्ट दलन की
ठाकुर प्रसाद मिश्र
आरति कीजै नंद ललन की लीलाधर प्रभु दुष्ट दलन की |
अग जग देखि रूप सब मोहत मोर मुकुट हल कांधे सोहत |
छवि निरखति तृन तोरि यशोदा हरि हलधर वसुदेव सुअन की ||
आरति कीजै नंद ललन की..
जगत उधारन हित वपु धारत भक्त विपति कर कमलन टारत |
गीता ज्ञान भरत महि मंडल, लेत समय पर सुधि संतन की ||
आरति कीजै नंद ललन की….
धरत वेश ग्वालन में ग्वाला, दलत मोह कलि कष्ट कराला |
सो जस वाणी अमरतार से, लीला प्रगटति कंस हनन की ||
आरति कीजै नंद ललन की….
व्यास आदि कवि पुंगव नाना जासु सुयश गावत धरि ध्याना |
उर अनुभवत ब्रह्म सुखनिशिदिन”मिश्र” शरण राधिका रमन की ||
आरति कीजै नंद ललन की..
कवि प्रसिद्ध साहित्यकार हैं. प्रकाशित हिंदी उपन्यास “रद्दी के पन्ने”