अरुणाकर पाण्डेय
हाल ही में टाटा उद्योग के सर्वेसर्वा रतन टाटा का निधन हुआ । वे अक्सर अपने सरल, सशक्त और और प्रभावी व्यक्तित्व के लिए समाचारों में बने रहते थे । जब बंगाल में उन्हें नैनो के लिए फैक्ट्री लगाने के लिए भूमि नहीं दी गई तब बिना किसी शिकायत और शोर शराबे के उन्होंने उसे गुजरात से निर्मित कर अपना संकल्प पूरा किया । वे अपनी कंपनी टाटा की ही बनाई हुई गाड़ी में यात्रा करते दिखते थे जब अन्य उद्योगपति अपनी शान को बेहिचक प्रदर्शित करने का कोई अवसर नहीं छोड़ते थे। संदेश स्पष्ट था कि वे उच्च वर्ग के होते हुए भी मध्य वर्ग के बहुत निकट थे और उससे प्रेम करते थे । मानो वे काम भी उसी के लिए करते थे। यहां यह भी ध्यान रखना चाहिए कि उनके समूह टाटा ने देश को कई बेजोड़ अकादमिक एवम शोध संस्थान भी दिए जिन्हें उन्होंने आजीवन संरक्षण दिया। यह बहुत बड़ी बात है।
आगे श्रद्धांजलि स्वरूप अंग्रेजी में उन पर एक संस्मरण का हिंदी अनुवाद दिया जा रहा है,जिसे डिस्को दीवाने जैसे लोकप्रिय गीत की पाकिस्तान मूल की गायिका नाजिया हसन और जोहेब ने लिखा है । आशा है पसंद आएगा क्योंकि इसमें भी उनके मध्य वर्गीय जीवन शैली की बात ही की गई है ।
“नाज़िया और ज़ोहेब, आपके पास मिस्टर रतन नाम के किसी सज्जन का फ़ोन आया है”, मेरी माँ ने नाज़िया को फ़ोन देते हुए कहा।
उन्होंने कहा, “मेरा नाम रतन है और मैं सीबीएस इंडिया के नाम से एक म्यूजिक कंपनी शुरू कर रहा हूं। मैं चाहूंगा कि आप और जोहेब अगर संभव हो तो हमारे लिए एक एल्बम रिकॉर्ड करें।”
“क्या मैं आकर तुम दोनों से मिल सकता हूँ?”
“माँ क्या मिस्टर रतन हमारे साथ किसी संगीत परियोजना पर चर्चा करने आ सकते हैं?” नाज़िया ने उत्साहित होकर माँ से कहा
“आज नहीं शायद शुक्रवार को” माँ ने कहा।
“मिस्टर रतन क्या आप शुक्रवार को विंबलडन में हमारे घर आ सकते हैं?”, नाज़िया ने व्यवसायिक अंदाज में कहा।
शुक्रवार को लम्बे कद के एक आदमी साफ-सुथरा सूट पहने हमारे आवास पर आए। उनके चेहरे पर सौम्य मुस्कान थी और वे बेहद मृदुभाषी थे। जब वे बोलते थे तो बहुत ईमानदार लगते थे। हमें नहीं पता था कि वे कौन थे और उन्होंने कभी भी अपने बारे में डींगें नहीं मारीं। उन्होंने बस इतना कहा,
“अगर आप लोग सहमत हैं तो आइए इसे पूरा करें। मैं समझौते के संबंध में आपसे संपर्क करने के लिए किसी को भेजूंगा। सुनिश्चित करें कि समझौते को देखने के लिए आप एक वकील और अपने माता-पिता को बुलाएं। यदि आप इससे सहमत नहीं हैं और कुछ भी हो तो सीधे मुझसे बात कीजिए।”
बाकी इतिहास है और हमने संभवतः पहले संगीत वीडियो के साथ यंगतरंग एल्बम का निर्माण किया जो भारत और दक्षिण एशिया के लिए पहला वीडियो था। यह उस समय की बात है जब एमटीवी अभी-अभी यूएसए में लॉन्च हुआ था। एमटीवी ने हमें फोन किया और कहा कि उन्होंने ऐसा कुछ कभी नहीं देखा है और पूछा कि क्या हमने अंग्रेजी में कुछ किया है। दूरदर्शन ने भारत में संगीत वीडियो चलाए और एल्बम ने ‘डिस्को दीवाने’ को भी पछाड़ दिया। जब हम अंततः मुंबई में द ताज होटल में एल्बम के लॉन्च पर रतन टाटा से मिले तो हमें सीबीएस इंडिया के एमडी ने बताया कि वो महान व्यक्ति कौन थे। तब तक हमें पता नहीं था कि मिस्टर रतन कौन हैं।
एल्बम के लॉन्च के बाद उन्होंने मुझे और नाज़िया को अपने आवास पर डिनर के लिए आमंत्रित किया। हमने सोचा कि वे शायद किसी महल में रहते होंगे। जब हम पहुंचे तो हम आश्चर्यचकित रह गए कि भारत का सबसे शक्तिशाली उद्योगपति इतने साधारण आवास में रहता था। दो कमरों वाला एक छोटा सा फ्लैट, कम सजावट वाला। हम उनकी बहन, एक नौकर और एक अलसेशियन से मिले जिससे वे बहुत प्यार करते थे। वह महान व्यक्ति के साथ एक साधारण रात्रिभोज था जिसे मैं आज तक कभी नहीं भूलूंगा। इस रात्रिभोज के बाद मैं श्री टाटा से कई बार मिला। एक बार लंदन में बॉन्ड स्ट्रीट पर शॉपिंग के दौरान उन्होंने पूछा “कैसे हो ज़ोहेब? नाज़िया और तुम्हारे माता-पिता कैसे हैं?”
“हाय मिस्टर रतन, वे ठीक हैं, धन्यवाद। आपको यूके में क्या लाया है?”
उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, “कुछ हवाई जहाजों को देखने के लिए”।
बाद में मुझे पता चला कि वे एयर इंडिया के लिए कुछ विमान खरीदने आए थे, वो एयरलाइन्स उस समय उनके पास थी । श्री टाटा इस बात का जीता-जागता सबूत थे कि कोई भी एक प्रतिष्ठित व्यवसायी होने के बावजूद सही मायने में सज्जन हो सकता है। वे बहुत प्रेम सहित याद आएंगे ।विनम्र श्रद्धांजलि।