अरुणाकर पाण्डेय
ब्लैक ब्यूटी की लेखिका अन्ना सेवेल को – उनके प्रसिद्ध घोड़े के साथ – उस शहर में फाइबरग्लास के घोड़े पर चित्रित किया जा रहा है, जहां उनका जन्म हुआ था। आदमकद घुड़सवारी पुतले को ग्रेट यारमाउथ, नॉरफ़ॉक के बाज़ार में गुरुवार तक चित्रित किया जा रहा है, जो शहर के कला महोत्सव के साथ बेहद शानदार दिखता है। इसे बाद में सरकार के टाउन डील फंड से वित्तपोषित दस अन्य मूर्तियों के साथ सार्वजनिक प्रदर्शन पर रखा जाएगा।इस कार्य में 330,000 पाउंड की लागत आई है और इसमें शहर के केंद्र में बड़े निवेश के बाद नए बाजार भवन और एक पूर्व डिपार्टमेंट स्टोर को नए पुस्तकालय और शिक्षण परिसर में परिवर्तित किया गया है। ब्लैक ब्यूटी की लेखिका अन्ना सेवेल का जन्म 1820 में ग्रेट यारमाउथ के बाजार के सामने एक घर में हुआ था।
स्कॉटलैंड स्थित कलाकार लोइस कॉर्डेलिया द्वारा बनाई गई कलाकृति, अन्ना सेवेल्स ब्लैक ब्यूटी में कैनवास के रूप में एक आदमकद फाइबरग्लास घोड़े का उपयोग किया गया है। कॉर्डेलिया ने कहा: “घोड़े को उससे जुड़ी छवियों से कवर किया जाएगा – घोड़े के चित्र, अन्ना सेवेल के चित्र, उस स्थान के चित्र जहां वह रहती थी।” उन्होंने यह भी कहा है कि “मैं ग्रेट यारमाउथ के लिए एक नए आर्ट ट्रेल के साथ इस परियोजना का हिस्सा बनकर बहुत खुश हूं।“ स्वाभाविक है कि यह उनके लिए असीम प्रसन्नता का विषय होगा क्योंकि एक महान उपन्यास पर आधारित कलाकृति उन्हें दोहरे अहसास से भर देती होगी, एक तो खुद की कलाकृति और दूसरी अन्ना सेवेल के द्वारा सजाये गए भावों से गुजरने और उससे प्रेरित होकर रचने की ! वे इस अहसास को और अधिक महसूस करते हुए कहती हैं “मैं अपने पास से गुजरने वाले लोगों की टिप्पणियों से बहुत उत्साहित हूँ। बहुत सारी मजेदार टिप्पणियाँ हैं: उदाहरण के लिए, ‘क्या यह असली घोड़ा है?'”उन्होंने कहा कि जिन लोगों से उन्होंने इस परियोजना के बारे में बात की उनमें से अधिकांश ने यही प्रतिक्रिया दी कि “हे भगवान, यह मेरी बचपन की सबसे पसंदीदा पुस्तकों में से एक थी।” स्पष्ट है कि एक सशक्त रचना अपनी यात्रा पीढ़ियों तक करती है और लोगों के ये उद्गार बताते हैं कि एक कृति कैसे जीवन भर एक पाठक के साथ अपने संबंध स्थापित कर लेती है |
उन्हें इस उपन्यास के ऐतिहासिक महत्व का भी ज्ञान है क्योंकि अन्ना ने एक घोड़े की दृष्टि को जैसे मूर्त कर दिया था और यह पढ़ना लोगों के लिए एक जादू को पढ़ना जैसे था |उन्होंने कहा: “मुझे लगता है कि यह इतिहास के उन अग्रणी क्षणों में से एक था जब साहित्य को अचानक एक जानवर के नजरिए से देखा जाने लगा और यह एक नई बात थी। इसे ही स्थापित करते हुए उन्होंने कहा है “अब यह काफी आम बात है, लेकिन उस समय यह काफी असामान्य बात थी।”
यह इतना ही नहीं है बल्कि इस परियोजना के अन्य कार्यों में ग्रेट यारमाउथ में जन्मे दिवंगत कलाकार एर्नी चाइल्ड्स को श्रद्धांजलि भी शामिल है, जिनका जन्म 1947 में द रोज़ नामक मध्ययुगीन गली में हुआ था। उनके सम्मान में मूर्तिकार मार्क गोल्ड्सवर्थी यार्न विद एर्नी नामक मूर्ति बनाएंगे, जिसमें एर्नी के ट्रेडमार्क मछुआरे की पोशाक पहने एक व्यक्ति को हाथ में पेंटब्रश लिए दिखाया जाएगा। निश्चित रूप से इससे शहर की छवि निर्मित होगी और यह परियोजना शहर के कई चरित्रों और ऐतिहासिक विशेषताओं का प्रतिनिधित्व करेगी।इस पर गोल्ड्सवर्थी बहुत प्रसन्न हैं और उन्होंने कहा है “मुझे खुशी है कि मुझे इस काम के लिए चुना गया है, मुझे उम्मीद है किजो मैं करूँगा वह शहर के लोगों के लिए एक उचित श्रद्धांजलि होगी।“ अपने को अर्नी से हमेशा के लिए जुड़े होना पाकर वे कहते हैं “[अर्नी के] स्वागतशील और गर्मजोशी भरे स्वभाव के साथ, मेरा डिज़ाइन ग्रेट यारमाउथ के आदर्श चरित्र को अच्छी तरह से प्रस्तुत करेगा, जिसे मैं बहुत अच्छे से याद करता हूँ।“ वे उत्साहित होकर कहते हैं “मुझे आशा है कि इससे स्थानीय लोगों को आनंद प्राप्त करने तथा आगंतुकों के लिए शहर की संस्कृति, समुदाय और उद्योग के आकर्षक मिश्रण के बारे में अधिक जानने के लिए एक स्थायी विरासत का निर्माण होगा।”
इस परियोजना को लेकर स्थानीय राजनेता भी अपने उत्साह और प्रसन्नता को अभिव्यक्त कर रहे हैं| कंजर्वेटिव काउंसिल के नेता कार्ल स्मिथ ने कहा है “हमें शहर में एक उत्कृष्ट नया निर्माण करने के लिए सरकारी धन प्राप्त होने पर खुशी है जो समाज के लिए हमारे सार्वजनिक स्थानों में वृद्धि करेगा और हमारे पर्यटन के आकर्षण को बेहतर बनाएगा। उन्होंने यह बताया है कि कलाकारों ने इन कृतियों को स्थापित करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है और इतना मन लगा कर काम किया है कि साधारण जन अवश्य इससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकेंगे | उनके शब्दों में “कला समुदाय की ओर से इन कलाकृतियों के निर्माण में काफी रुचि थी और हमारे पास मूर्तियों की एक अविश्वसनीय रूप से समृद्ध और जीवंत श्रृंखला है, जिसके बारे में मुझे पता है कि लोग इसे दिल से अपनाएंगे।”
यह खबर फिर एक बार सिद्ध करती है कि यदि पूरे मन से प्रयास किये जाएँ तो हमारी साहित्यिक कृतियाँ लोगों को आज भी बाँधने में और उनके लिए जीवन के कई रंग और उससे जुड़ी समस्याओं के समाधान देने में बहुत कारगर साबित हो सकते हैं | इससे यह भी समझ बन रही है कि अपनी साहत्यिक कृतियों को केवल पुस्तक रूप में ही रखना जरूरी नहीं है बल्कि अन्य कलाओं के माध्यम से उनके प्रसंगों को लगातार उठाते रहना और और उनके स्थायी स्मृति चिह्न निर्मित करते रहने का आवश्यकता है | इसका कारण यह है कि मीडिया के प्रभाव के कारण साधारण जगत में पुरानी साहित्यिक कृतियों के प्रति अभिरुचि में कमी आई है लेकिन अगर संस्कृति कर्मी थोड़ा सा ठान लें तो फिर से उन कृतियों के प्रति वातावरण बनाया जा सकता है और वह भी समकालीन जीवन की प्रासंगिताओं को देखते हुए | ब्लैक ब्यूटी के प्रयास में यह निश्चित ही सरकारी पैसे से हुआ है लेकिन यदि एक स्वप्न देखा जाए कि क्या जनता कभी अपने पैसे से ऐसे कार्यक्रम करेगी, तो यह आज असम्भव लग सकता है लेकिन इस निर्णय पर पहुँचने से पहले अभी असंख्य इमानदार प्रयासों की आवश्यकता है | कम से कम उम्मीद तो रखनी चाहिए !
लेखक दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी के प्राध्यापक हैं