टीम कहानी तक – यूं तो मानव जीवन ही दुर्लभ है और उसमें भी दुर्लभ है रचनाकार (कवि) होना । मां वीणावादिनी की असीम अनुकंपा से ही किसी को कवि को होने का सौभग्य प्राप्त होता है । ऐसे में उन्हीं दुर्लभ लोगों में से एक हैं अमित कुमार मल्ल जिन्हें प्रतिष्ठित साहित्यकार होने का गौरव मां वीणा की महती कृपा से मिला है । अमित कुमार मल्ल के नवीनतम् छठे काव्य संग्रह आवारा सडकें पुस्तक पर चर्चा परिचर्चा का कार्यक्रम साहित्य अकादमी दिल्ली के सभागार में हुआ । इस कार्यक्रम के प्रारंभ में आयोजक कस्तूरी ने पदाधिकारियों द्वारा सभी पैनल व रचनाकार का स्वागत किया।चर्चा की शुरुआत डा प्रदीप ने करते हुए ,इस काव्य संग्रह की अन्य काव्य संग्रहों की तुलना करते हुए ,आम जीवन का संघर्ष बताया।शुभ्रा दूबे ने काव्य संग्रह में अप्रत्यक्ष लय की बात कही। अमरेन्द्र पांडे ने तेरे हाथ कविता का विश्लेषण किया।ज्ञानेंद्र ने इसे सामान्य बताया ,जो विशिष्ट है।सारिका कालरा ने पहले के काव्य संग्रहों की तुलना में इसे मैच्योर बताया ।सुधीर प्रताप ने शीर्षक विश्लेषण से,अपना वक्तव्य शुरू किया।राज शरण शाही ने सामान्य जीवन का विशिष्ट संघर्ष बताते हुए ,परिचर्चा समाप्त की।