टीम कहानी तक— गाजियाबाद के प्रतिष्ठित व्यापरी व समाज सेवी संजय बिंदल जी समस्त देशवासियों को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं देते हैं.
संजय बिदल कहते हैं कि श्री कृष्ण ने समाज में धर्म की स्थापना के लिए बहुत सारे बंधन तोड़े भी और जोड़े भी.
कंस जो उनका सगा मामा था लेकिन वह अत्याचारी था श्री कृष्ण ने वहाँ समाज और देश की भावना के हित को प्रथम रखते हुए कंस जैसे आततायी का बध किया और उसके आतंक के भय को समाप्त किया . धर्म तभी स्थापित हो सकता है जब अपने पुत्र के जैसा ही भाई के पुत्र को भी स्नेह ,सम्मान और हक दिया जा सके. स्त्री मर्यादा को रखने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने द्रोपदी की लाज बचाकर यह संदेश दिया कि जब तक यह धरा है यहाँ अनाचार की चेष्टा की भी जगह नहीं है.
श्री कृष्ण ने सुदामा के साथ सखा धर्म निभाकर युगों -युगों तक के लिए संदेश दे दिया कि मित्रता से बढ़कर पृथ्वी पर कोई धर्म नहीं है. मित्रता तो समान विचारों की होती है अपनत्व स्नेह और सम्मान की होती है इसमें कहां कोई छोटा बड़ा होता है.
संजय बिंदल कहते हैं कि श्री कृष्ण के जीवन से हमें यही प्रेरणा मिलती है कि हमें अपने- अपने जीवन में अपने स्वभाव के अनुसार धर्मरत रहते हुए कर्म करते रहना चाहिए. मित्र धर्म को श्रेष्ठ समझना चाहिए और सभी को बराबर का हक मिले इसका प्रयत्न करते रहना चाहिए.