
Amar Jawan Jyoti: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रसिद्ध इंडिया गेट पर 50 सालों से जलने वाली अमर जवान ज्योति आज बुझा दी जाएगी. अब इसे राष्ट्रीय समर स्मारक (नेशनल वार मेमोरियल) पर जलने वाली ज्योति में मिला दिया जाएगा. बता दें कि यह ज्योति 50 वर्षों से लगातार जल रही है. आज इसे एक कार्यक्रम के तहत इंडिया गेट से लगभग 400 मीटर दूरी पर स्थित राष्ट्रीय समर स्मारक पर जलने वाली ज्योति में विलय कर दिया जाएगा.आखिर पूरा माजरा क्या है? विस्तारपूर्वक समझते है.
अमर जवान ज्योति क्या है?
अमर जवान ज्योति’ भारतीय स्मारक है, जिसका निर्माण भारतीय सेना के शहीद हुये जवानों को श्रृद्धाजंलि देने हेतु किया गया है. यहां पर हमेशा दीप प्रज्ज्वलित रहती है.
एक नजर “अमर जवान ज्योति” के इतिहास के तरफ
इंडिया गेट तो आजादी से पहले बन गया था और भारत को आजादी मिलने के बाद एक और स्मारक इसमें जोड़ा गया और वो है अमर जवान ज्योति. अमर जवान ज्योति बहुत बाद में जोड़ा गया था. दिसंबर 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में अपने प्राण न्यौछावर करने वाले सैनिकों की देश को याद दिलाने के लिए मेहराब के नीचे ज्योति दिन-रात जलती है. बता दें कि 3 दिसंबर से 16 दिसंबर, 1971 तक भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध चला था. इस युद्ध में भारत के कई जवान शहीद हुए थे.
जब 1971 युद्ध खत्म हुआ तो 3,843 शहीदों की याद में एक अमर ज्योति जलाने का फैसला हुआ. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 26 जनवरी 1972 को (भारत का 23वां गणतंत्र दिवस) अमर जवान ज्योति का उद्घाटन किया. यह काले रंग का एक स्मारक बना हुआ है, जिस पर अमर जवान लिखा हुआ है. इसके साथ ही इस पर L1A1 सेल्फ लोडिंग राइफल भी सीधी रखी हुई है, जिस पर एक सैनिक हेलमेट भी लगा हुआ है. साथ ही एक लौ जल रही है और वो आज तक लगातार जल रही थी. रिपोर्ट्स के अनुसार, 1971 के 2006 के बीच, ज्योति जलाने के लिए LPG का इस्तेमाल होता था और उसके बाद से सीएनजी इस्तेमाल की जानी लगी.

एक नजर “नेशनल वॉर मेमोरियल” की तरफ:
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक या नेशनल वॉर मेमोरियल इंडिया गेट के दूसरी तरफ केवल 400 मीटर की दूरी पर स्थित है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 फरवरी 2019 को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का उद्घाटन किया था, जहां 25,942 सैनिकों के नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखे गए हैं.
इस युद्ध स्मारक में 1947-48 के युद्ध से लेकर गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ संघर्ष तक शहीद हुए सैनिकों के नाम अंकित हैं. इनमें आतंकवादी विरोधी अभियान में जान गंवाने वाले सैनिकों के नाम भी हैं.
आप सभी को बता दें कि इससे पहले सशस्त्र सेनाओं के सैनिकों की शहादत पर इससे पहले कोई राष्ट्रीय स्मारक नहीं था.

आखिर “अमर जवान ज्योति” को लेकर क्या हुआ है फैसला
इंडिया गेट (India Gate) पर जल रही ‘अमर जवान ज्योति’ (Amar Jawan Jyoti) का राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (National War Memorial) पर जल रही लौ में विलय होगा. रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार, शुक्रवार दोपहर अमर जवान ज्योति का एक हिस्सा नैशनल वॉर मेमोरियल ले जाया जाएगा. 3.30 बजे दोनों लौ का विलय समारोह होगा. दोनों स्मारकों के बीच की दूरी लगभग 0.4 किलोमीटर है.
इसी को लेकर पूरी माजरा है. कुछ पूर्व सैनिकों का कहना है की सरकार का लिया गया यह फैसला बहुत ही सराहनीय है. तो विपक्षी का कहना है की दोनों दीपो को मिलाने की आवश्यकता ही क्या है.
विपक्षी का कहना है की “अमर जवान ज्योति” को बुझाई जा रही है. वही सरकार के सूत्रों का कहना है कि अमर जवान ज्योति को लेकर कई तरह की अफवाहें फैलाई जा रही हैं. अमर जवान ज्योति की लौ बुझाई नहीं जा रही है. इसे नेशनल वॉर मेमोरियल की लौ के साथ मर्ज (विलय) किया जाएगा.